बिहार में किसी भी पर्व का सीधा कनेक्शन राजनीति से जोड़ने की कोशिश होती है.

बात अगर मकर संक्रांति के दिन की हो तो इस दिन बिहार में नई सियासी खिचड़ी का पकना लाजमी माना जाता था लेकिन हर साल दही-चूड़ा भोज के बहाने लगने वाला सियासी मेला इस बार मकर संक्रांति के मौके पर भी कोसों दूर है.

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कारण जो भी हो लेकिन कभी मकर संक्रांति के दिन सजने वाला लालू का दरबार हो या जेडीयू के विशिष्ट नारायण सिंह का आवास हर जगह इस बार 2021 की संक्रांति के मौके पर सन्नाटा पसरा है.

मकर संक्रांति के दिन बिहार में चूड़ा दही भोज के बहाने हमेशा सियासत होती रही है. मकर संक्रांति के दिन राजनीतिक दलों और नेताओं के यहां राजनीति की नई कहानी लिखने की पुरानी परंपरा रही है.

मकर संक्रांति के दिन से खरमास खत्म माना जाता है जिसके बाद लोग शुभ काम शुरू करते है, यही कारण है कि चूड़ा दही भोज के बहाने दूसरे दलों के नेताओ को भी आमंत्रण दिया जाता रहा है जो बाद में नई कहानी के रूप में सामने आते रहे हैं.

लालू दरबार और वशिष्ठ नारायण आवास पर होता रहा है सियासी भोज

मकर संक्रांति के दिन चूड़ा दही भोज के लिए लालू प्रसाद यादव और जेडीयू नेता वशिष्ठ नारायण सिंह फेमस रहे हैं.

लालू आवास पर हर साल मकर संक्रांति के दिन बड़े पैमाने पर भोज दिया जाता रहा है जहां हजारों लोग शामिल होते थे. हर दल के नेताओं को आमंत्रण दिया जाता था.

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