आज ज्येष्ठ महीने की अमावस्या है. इस दिन पितरों के लिए श्राद्ध किया जाता है. ग्रंथों के मुताबिक गुरुवार को पड़ने वाली अमावस्या शुभ फल देती है.
अगर किसी भी महीने की अमावस्या गुरुवार को पड़ती है तो उसे गुरुवारी अमावस्या (Guruwari Amavasya) कहा जाता है. ज्योतिष के मुताबिक ऐसी अमावस्या शुभ फल देने वाली होती है. ऐसे संयोग में किए गए स्नान-दान और पूजा-पाठ का पुण्य फल और भी बढ़ जाता है. वैसे गुरुवार को अमावस्या का संयोग कम ही बनता है.
अब नवंबर में होगी गुरुवारी अमावस्या
इस साल फरवरी में भी गुरुवार को माघी अमावस्या थी. अब ज्येष्ठ महीने के बाद 4 नवंबर को साल की आखिरी गुरुवारी अमावस्या रहेगी. इस दिन गंगा-यमुना जैसी पवित्र नदियों और मथुरा एवं अन्य तीर्थों में स्नान, गौदान, अन्नदान, ब्राह्मण भोजन, वस्त्र, स्वर्ण आदि दान का विशेष महत्व माना गया है. धर्म ग्रंथों में कहा गया है कि इस दिन स्नान-दान और ब्राह्मण भोजन करवाने से पितर संतुष्ट हो जाते हैं.
पितरों को किया जाता है याद
ज्येष्ठ मास की अमावस्या का धार्मिक महत्व भी है. इस दिन अपने पूर्वजों की पूजा करने और गरीबों को दान पुण्य करने से पापों का नाश होता है. बहुत से श्रद्धालु इस दिन पवित्र जल में स्नान करके व्रत भी रखते है. स्नान-दान के बाद दिनभर व्रत रखकर शनिदेव के साथ वट और पीपल के पेड़ की पूजा करते हैं. ऐसा करने से सारे ग्रह दोष खत्म होते हैं. शारीरिक तकलीफ के चलते अगर इस दिन व्रत न रख पाएं तो स्नान-दान और पूजा-पाठ के बाद भोजन किया जा सकता है. ऐसा करने से भी पूरा पुण्य मिलता है.
इस महीने की अमावस्या क्यों होती है खास?
ज्येष्ठ अमावस्या को शनि देव की जयंती (Shani Jayanti) के रूप में मनाया जाता है. इस दिन शनि दोष से बचने के लिए निवारण उपाय करने चाहिएं. इससे लोगों को लाभ मिलता है और शनिदेव प्रसन्न होते हैं. शनि जयंती और स्नान-दान के साथ-साथ महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए इस दिन वट सावित्री व्रत भी रखती हैं. इसलिए उत्तर भारत में ज्येष्ठ अमावस्या (Thursday Amavasya) को विशेष रूप से सौभाग्यशाली और पुण्य फलदायी माना जाता है.
क्या करें और क्या नहीं:-
1. इस दिन सूर्योदय से पहले उठकर तीर्थ स्थान या पवित्र नदियों में स्नान करने की परंपरा है. महामारी के चलते घर पर ही पानी में गंगाजल की कुछ बूंदे मिलाकर नहाने से भी उतना ही पुण्य मिलेगा.
2. पूरे दिन व्रत या उपवास के साथ ही पूजा-पाठ और श्रद्धानुसार दान देने का संकल्प लें.
3. पूरे घर में झाडू-पौछा लगाने के बाद गंगाजल या गौमूत्र का छिड़काव करें.
4. सुबह जल्दी पीपल के पेड़ पर जल चढ़ाएं.
5. पीपल और वट वृक्ष की 108 परिक्रमा करें. इससे दरिद्रता मिटती है.
6. इसके बाद श्रद्धा के अनुसार दान दें. माना जाता है कि अमावस्या के दिन मौन रहने के साथ ही स्नान और दान करने से हजार गायों के दान करने के समान फल मिलता है.
7. तामसिक भोजन यानी लहसुन-प्याज और मांसाहार से दूर रहें
8. किसी भी तरह का नशा न करें और पति-पत्नी एक बिस्तर पर न सोएं
(नोट: इस लेख में दी गई सूचनाएं सामान्य जानकारी और मान्यताओं पर आधारित हैं.Apana Bihar इनकी पुष्टि नहीं करता है.)