100 साल का कोई व्यक्ति अगर आपको अपने रूटीन के कामकाज ही नहीं बल्कि मूक पशु-पक्षियों की सेवा या उपचार करता मिल जाए तो शायद आप हैरान जरूर होंगे। हम भी जब जिले के महेश गांव में पहुंचे तो ऐसा ही लगा। फिर कुछ पल ठहरकर उम्र का शतक लगाने वाले इस शख्स हजारीराम विश्नोई की दिनचर्या और इसका राज जानना चाहा।
इस दौरान बातचीत में तो उन्होंने जो बताया, उससे शायद हर कोई दंग रह जाएगा, क्योंकि उन्होंने अपनी इतनी उम्र के बावजूद जीवन में ना कभी बीमारी देखी और ना ही कभी दवा। जिसकी दो बड़ी प्रमुख वजह निकलकर सामने आई। पहली तो यह कि वे रोजाना सुबह-सुबह एक घंटे योगा करते है और दूसरी वजह है विश्नोई समाज के 29 नियमों का पालन।
100 वर्षीय हजारीराम को आज तक कोई बीमारी छू भी नहीं पाई है। उम्र के इस पड़ाव पर वे वन्यजीवों के संरक्षण के लिए अपने घर के पास ही एक रेस्क्यू सेंटर भी चलाते है, जहाँ आस पास के वन्य क्षेत्र से घायल हुए हिरण, नीलगाय, मोर और खरखोश जैसे जानवरों को रखा जाता है तथा स्वस्थ होने पर उन्हें आजाद कर दिया जाता है।
उम्र का लगा शतक, कोई बीमारी आस-पास भी नहीं
हजारी राम विश्नोई ने विक्रम संवत के हिसाब से इस वर्ष उम्र का शतक लगा दिया है।उम्र की इस अवस्था में भी उन्हें देखकर कोई यह नहीं कह सकता कि उनकी उम्र इतनी हो सकती है। चेहरे पर चमक और बोलचाल में उम्र का कोई असर नहीं। सुनने की क्षमता व उनकी याददाश्त भी बेजोड़ है।
हजारी राम इसका कारण योग व 550 वर्ष पूर्व विश्नोई समाज के धर्म गुरु जम्भेश्वर भगवान द्वारा बताये गए 29 नियमों की पालना को मानते हैं। वो बताते है कि यहीं कारण है कि वो अब तक स्वस्थ हूँ और खुश है। उन्होंने बताया कि उनकी 85 वर्षीया पत्नी को भी लम्बे समय से डायबिटीज की दिक्कत थी, पर योग के बल पर आज वो भी स्वस्थ है और उनका शुगर लेवल भी काबू में है।
वन्यजीवों से है प्यार, चलाते है रेस्क्यू सेंटर
हजारीराम और उनकी पत्नी को वन्यजीवों से विशेष प्यार है और वो इन्हे बच्चों की तरह दुलार करते है। आसपास वन्य क्षेत्र होने से कई बार हिरण, नीलगाय, मोर व खरखोश जैसे जानवर घायल हो जाते है। ऐसे में वो घर के पास ही एक बाड़े में इनके लिए रेस्क्यू सेंटर चलाते है।
साभार – dainik bhaskar