रेगिस्तान में जून में पारा 45 से 48 डिग्री तक चला जाता है। इस गर्मी से बचने के लिए लोग अलग-अलग जतन करते हैं। ऐसा ही अनूठा तरीका अपनाया महाबार निवासी रतन सिंह राजपुरोहित ने। रतन अपने खेत में पेड़ पर झोपड़ी बनाकर रहते हैं। बाड़मेर-जैसलमेर में मई जून में गर्मी ज्यादा पड़ती है। इस गर्मी से बचने के लिए वह रोहिडे के पेड़ पर झोपड़ी बनाकर दिन और रात में समय बिताते हैं। गूगल और यूट्यूब पर देखकर उन्होंने दो महीने पहले झोपड़ी बनाई थी।

रोहिड़े पर बनाई झोपड़ी पर सीढ़ियों से चढ़ते रतन सिंह।

रोहिड़े पर बनाई झोपड़ी पर सीढ़ियों से चढ़ते रतन सिंह।

सरहदी जिले बाड़मेर में मई व जून में तापमान में 44 से 48 डिग्री रहता है। रतन सिंह बताते हैं कि इस झोपड़ी में बैठने के बाद न पंखे की जरूरत रहती है और न ही कूलर की। इसमें 6 लोग आराम से बैठ सकते हैं और तीन लोग सो सकते हैं। झोपड़ी तक आने-जाने के लिए सीढ़ियां भी बनाई हुई हैं।

तेज गर्मी में दिन में सो कर आराम करते रतन सिंह।

तेज गर्मी में दिन में सो कर आराम करते रतन सिंह।

रतन सिंह बताते हैं कि मैं गूगल पर गर्मी से बचने के उपाय देख रहा था। तभी मुझे पेड़ पर झोंपड़ी बना दिखी। मैंने सोचा क्यों न ऐसा झोपड़ी बनाई जाए। मैंने तीन माह पहले रोहिड़े के पेड़ पर लकड़ी से झोपड़ी बना दी। इस झोपड़ी में 6 लोग आराम से बैठ कर खाना खा सकते हैं। तीन लोग आराम से सो सकते हैं। दिन में जब गर्मी ज्यादा होती है, तब मैं इसमें सो जाता हूं। मेरे साथी जब आते हैं, तब हम इस झोपड़ी में बैठ जाते हैं।

15 दिन लगे बनाने में
रतन सिंह ने बताया कि इसे दो लोगों मिलकर 15 दिन में बनाया है। इस झोपड़ी में लकड़ी और लोहे से काम हुआ है। इस पर कुल 30 हजार का खर्च आया है। रतन बताते हैं कि ऊंचाई पर होने के कारण जमीन की तपिश यहां महसूस नहीं होती। इससे गर्मी इतनी नहीं सताती।

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