राजस्थान में अबूझ सावे के लिए मशहूर आखातीज को इस बार कोरोना ने सूना कर दिया। लॉकडाउन के कारण सन्नाटा तो पहले से पसरा है, लेकिन अाखातीज पर बजने वाले बैंड-बाजे और बाराती इस बार गायब थे। शादियों की रौनक तो पहले से ही गायब है। सरकार की की 11 लोगों की गाइडलाइन के चलते प्रदेश में ज्यादातर लोगों ने शादियां टाल दी थीं, लेकिन जहां पर शादी हुई वहां पर सिर्फ दूल्हा-दुल्हन और कुछ ही लोग थे।

अलवर की एक शादी की बात करते हैं। यहां न कोई बाजा न बारात। केवल वर माला डाली और हवन किया। इसके बाद दुल्हन को लेकर आ गया दूल्हा। सरकार की जारी गाइडलाइन से भी कहीं अधिक सावधानी से शादी का उदाहरण सामने आया। अलवर शहर के संजय नगर निवासी तरुण गुप्ता उर्फ रिंका ने भिवाड़ी की रुबी गुप्ता से शादी की। दूल्हा अलवर से करीब 90 किलोमीटर दूर सुबह सात बजे अपने बड़े भाई के साथ निकला। दोनों भाई ही बेटी यानी दुल्हन के घर पहुंचे। इसे बारात समझे या फिर दूल्हा व उसका भाई। इनके अलावा दूल्हे की ओर से इनके दो परिवार के लोग भिवाड़ी से ही विवाह समारोह में पहुंचे। मतलब दूल्हा पक्ष की ओर से केवल चार लोग शादी करने गए।

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दूल्हन, उसके दो भाई और माता-पिता
भिवाड़ी सेक्टर 8 में दुल्हन, उसके दो भाई और माता-पिता के अलावा कोई नहीं था। एक पंडितजी पहुंचे, जिन्होंने वरमाला डलवाने का काम किया और हवन पूरा कराया। इस तरह शादी में केवल 10 ही लोग शामिल हुए। जबकि सरकार ने शादी में 11 लोगों से अधिक नहीं होने की सख्ती की है।

90 किमी दूर गई बारात, एक घंटे में शादी
अलवर से सुबह 7 बजे दूल्हा व उसका भाई निकले। मुहूर्त के अनुसार दोपहर करीब साढ़े 12 बजे बाद शादी शुरू हुई। फेरे, वरमाला व हवन कराने में केवल करीब एक से सवा घंटा लगा। इसके बाद दूल्हा भिवाड़ी से दुल्हन को लेकर चल दया। इस तरह हो गई शादी।

न यहां के पड़ोसी को पता लगा न वहां केे
जब गाजा-बाजा ही नहीं था तो पड़ोसी को भी शादी का पता नहीं लगा। दूल्हा सुबह निकासी की जगह खुद के घर के मंदिर में पूजा करके निकल गए। भिवाड़ी में भी दूल्हा सीधे दुल्हन के घर पहुंचे। शादी के मुहूर्त के समय तक घर पर रुके। जैसे ही वरमाला व हवन हुआ। शादी करके वापस अलवर लौट आए।

साभार – dainik bhaskar

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