जी. राजेंद्रन 56 वर्षीय हैं और उन्होंने धातु के कचरे से एक विशाल साइकिल बनाई है. वह एक साइकिल उत्साही है.

उनको चेन्नई शहर के हलचल भरे ट्रैफिक में अपनी विशाल साइकिल की सवारी करते हुए देखा गया है.

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 तीन पहियों वाली बड़ी साइकिल के बारे में 

यह साइकिल तीन पहियों वाली बिना जंजीर के चलती है. इस साइकिल का वजन लगभग 220 किलोग्राम है और ऊंचाई साढ़े सात फीट है. श्री राजेंद्रन पिछले 25 वर्षों से विभिन्न आकृतियों, आकारों और शैलियों के चक्रों को डिजाइन और एक साथ रख रहे हैं.

आइये जानते हैं जी. राजेंद्रन का क्या कहना है 

राजेंद्रन कहते हैं ”मेरे पास इतने सारे विचार थे कि मैंने उन्हें आकार देने का फैसला किया. में वेतन के रूप में जो पैसा कमाता हूं, उससे में धातु का कचरा खरीदता हूं और उनके साथ ये प्रोटोटाइप बनाता हूं.”

उनका वेतन इस बात पर निर्भर करता है कि छोटे खराद कारखाने को कितना काम मिलता है. वह आगे कहते हैं कि “कभी-कभी यह ₹1,500 प्रति माह हो सकता है, कभी-कभी थोड़ा अधिक या उससे भी कम. इस तीन-पहिया साइकिल को बनाने में वर्षों की बचत हुई, और मददगार लोगों से कुछ दान मिला, जिसकी कीमत मुझे ₹63,000 पड़ी थी.”

राजेंद्रन के अनुसार लोहे की बनी साइकिल भारी होती है और यही कारण है कि इनका कोई लेने वाला नहीं होता है.

उन्हें साइकिल को हल्का बनाने के लिए अनुरोध प्राप्त हुए हैं. वह अगली साइकिल स्टेनलेस स्टील की बनाएंगे. उन्हें एक ग्राहक से तीन फीट की साइकिल बनाने का ऑर्डर मिला है. वह आगे बताते हैं कि छोटी साइकिल कुछ हफ्तों में बनाई जा सकती है लेकिन बड़ी को बनाने में नौ महीने से डेढ़ साल तक का समय लग जाता है.

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