बगहा। कोई भी सामग्री की खरीदारी हो। पर, कोई यह दावे से नहीं कह सकता कि पूरा पैसा देकर सामग्री का वजन भी पूरा मिल गया है। भीड़भाड़ व लोगों के पास समय की कमी के कारण खरीदे गए सामान की जांच कम ही लोग कर पाते हैं। पर, जिन लोगों ने इसको चेक कराया उसमें कमी जरूर मिली है। एक किलो में 100 ग्राम वजन कम होना आम बात है। पर, यह गोरख धंधा उपभोक्ताओं को लूटने का सबसे बढि़या माध्यम है। अगर पांच सौ रुपये किलो मांस खरीदने पर 100 ग्राम कम मिले तो, सीधे 50 रुपये की चपत लग जाती है। वहीं मछली, सब्जी के साथ फल की खरीदारी में भी ग्राहकों को ऐसे ही लूटा जाता है। जिसका पता उपभोक्ताओं को नहीं लग पाता है। जिसके कारण प्रतिदिन इसका शिकार लोग हो रहे हैं।

राशन की दुकान के साथ अन्य ऐसे सभी दुकान जहां माप तौल का काम होता है। वहां इस तरह का धंधा खुलेआम चलता है। स्थानीय स्तर पर कोई जांच या माप तौल का कार्यालय नहीं होने से घटतौली का यह खेल स्थानीय स्तर पर सालों से बेरोक टोक चल रहा है। कभी कभी राशन की दुकानों पर भी इस तरह की शिकायत सुनने में आती है। उपभोक्ताओं के हो हल्ला के बाद जांच शुरू होती है। तब तक बात पुरानी हो जाती है। ग्रामीण इलाकों में अधिक है लूटपाट का खेल घटतौली का कार्य नगर से लेकर ग्रामीण क्षेत्र तक जारी है।

गांव के लोग सीधे सादे व भोले भाले होते हैं। जो अमूमन इस खेल को नहीं समझ पाते हैं। इनको अनाज, कबाड़ या कुछ भी बेचना हो। उसमें भी वजन में कटौती की जाती है। वहीं कुछ खरीदने पर सामान के वजन में भी कटौती कर ली जाती है। जिससे ग्रामीण लोगों को दोतरफा घाटा लग जाता है। हालांकि यह लोग इसके लिए कहीं शिकायत करने नहीं जाते हैं। नहीं है जांच का कोई कार्यालय बता दें कि स्थानीय स्तर पर कोई माप तौल विभाग का कार्यालय नहीं है। जिसके कारण यह धंधा नगर से लेकर गांव तक बेखौफ जारी है। गाहे बगाहे इसकी जांच अनुमंडल के तरफ से आई टीम के द्वारा करके अपने कार्यों की इतिश्री मान ली जाती है। पर, उसके बाद फिर वही पुराना ढर्रा चल पड़ता है। जिसमें पूरा पैसा देकर भी ग्राहकों को सामान बराबर वजन पर नहीं मिल पाता है।

साभार – दैनिक जागरण

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