केन्या के सरवत गांव में सुबह 8 बजते ही 15 महिलाओं का समूह हाथों में हथौड़ा लिए हुए पत्थर तोड़ने निकल पड़ता है। वे सभी इतनी जोर से पत्थर पर हथौड़ा मारती हैं जिसकी आवाज दूर के इलाकों तक सुनाई देती है। ये काम करने वाली महिलाओं की उम्र 23 से 65 साल के बीच है जो बड़ी चट्‌टानों और पत्थरों को हथौड़े से छोटे टुकड़ों में बांट देती हैं। इन पत्थरों का इस्तेमाल घर बनाने के लिए किया जाता है। ये सभी महिलाएं अपनी रोजी-रोटी चलाने के लिए इतना मुश्किल काम करती हैं।

वे बिना थके सुबह से लेकर शाम तक इन पत्थरों को तोड़ती हुई नजर आती हैं। उनका कहना है कि इस काम से जो आय होती है, उससे वे अपने बच्चों की परवरिश करती हैं। इनमें से कुछ महिलाएं अपने साथ बच्चों को भी लेकर आती हैं तो कुछ उन्हें घर छोड़कर यहां आती हैं। ये सभी एक स्व सहायता समुह छेपकेमल कम्युनिटी की सदस्य हैं जो पिछले 12 सालों से पत्थर तोड़कर अपनी आजीविका चला रही हैं।

महिलाओं के इस समुह में 65 साल की रूथ सोई सबसे बुजुर्ग महिला हैं। वे कहती हैं – ”मैं जानती हूं इस काम को करना कितना मुश्किल है। यही करते हुए हम में कई महिलाओं के बच्चों ने कॉलेज की पढ़ाई की और आगे बढ़े”।

यहां काम करने वाली कुछ महिलाओं के बच्चे इतने छोटे हैं जिनके लिए ब्रेस्डफीडिंग जरूरी है। ऐसी महिलाएं अपने बच्चों को यहां रोज लेकर आती हैं। इन बच्चों को सभी महिलाएं मिलकर संभाल लेती हैं। अपनी मेहनत के बल पर ये सभी उस धारणा को भी तोड़ रही हैं कि पत्थर तोड़ने जैसा मुश्किल काम सिर्फ पुरुष कर सकते हैं और महिलाएं इसे नहीं कर सकतीं।

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