वातावरण के प्रति लोगों की जागरूकता तेजी से बढ़ रही है। स्वच्छ हवा के साथ साथ अब लोग ऐसा घर भी चाहते हैं, जो वातावरण के अनुकूल हो। हम सब प्रगति की ओर बढ़ रहे हैं, जिससे अब एक ऐसे घर का सपना सच साबित होता नजर आ रहा है।
डॉ शिवदर्शन मलिक ने पर्यावरण के अनुकूल घर का सपना साकार कर दिया है। उन्होंने देसी गाय के गोबर से एक ऐसा वैदिक प्लास्टर बनाया है, जिसका प्रयोग करने से गांव के कच्चे घर जैसा सुकून शहर के घरों में भी मिलेगा। साथ ही यह घर प्रदूषण से भी मुक्त रहेगा।

गाय के गोबर से बना प्लास्टर
डेयरी संचालक दया किशन शौकीन ने डेढ़ साल पहले दिल्ली के द्वारिका के पास छावला में गाय से बने प्लास्टर से अपना घर बनवाया था। किशन बताते हैं कि यह घर इतना ठंडा रहता है कि गर्मियों में भी एसी लगाने की जरूरत नहीं पड़ती है। अगर बाहर का तापमान 40 डिग्री सेल्सियस है, तो घर के अन्दर का तापमान 28-31 डिग्री सेल्सियस तक रहता है। साथ ही यह सीमेंट के खर्च से छह से सात गुना कम लागत में बनता है। इसमें प्रति स्क्वायर फिट केवल दस रुपए खर्च होता है।

शहर में मिलेगी गांव की मिठास
किशन बताते हैं कि इस घर के बहुत से फायदे हैं। जैसे- गर्मियों में नंगे पैर घर में टहलने से पैरों को ठंडक मिलती है। साथ ही बिजली की बचत भी होती है। इसके द्वारा अब शहर में भी गांव के घर का आनंद लिया जा सकता है। अब तक भारत में 300 से ज्यादा लोग देसी गाय के वैदिक प्लास्टर से घर बनवा चुके हैं।
कई सालों के अनुभव से तैयार किया वैदिक प्लास्टर
रोहतक के रहने वाले डॉ शिवदर्शन मलिक ने कई सालों तक इसपर शोध किया। उन्होंने अपने शोध से देसी गाय का एक ऐसा ‘वैदिक प्लास्टर’ तैयार किया, जो गर्मी में घर ठंडा और सर्दियों में घर गरम रख सके।
डॉ शिवदर्शन मलिक रसायन विज्ञान से पीएचडी करने के बाद आईआईटी दिल्ली और वर्ल्ड बैंक जैसी कई बड़ी संस्थाओं में बतौर सलाहकार काम कर चुके हैं। इसी दौरान उन्होंने कच्चे और पक्के घरों के फर्क को समझा। जिसके बाद साल 2005 से उन्होंने वैदिक प्लास्टर की शुरुआत की।

वैदिक प्लास्टर के फायदे
शिवदर्शन मलिक मानते हैं कि हमें नेचर के साथ रहकर नेचर को बचाना होगा। जबसे हमारे घरों से गोबर की लिपाई का काम खत्म हुआ है, तब से बीमारियां बढ़नी शुरु हुईं हैं। हमें अपनी जड़ों से दोबारा जुड़ना होगा ताकि हम स्वस्थ रह सकें।
प्रोटीन युक्त गोबर से शुद्ध होगी हवा
देसी गाय के गोबर में सबसे ज्यादा प्रोटीन होता है, जिससे घर की हवा शुद्ध रहती है। रोजाना हमारे देश में 30 लाख टन गोबर निकलता है, जिसका सही उपयोग नहीं किया जाता है। देसी गाय के गोबर में जिप्सम, ग्वारगम, चिकनी मिट्टी, नींबू पाउडर आदि मिलाकर वैदिक प्लास्टर तैयार किया जाता है, जो अग्निरोधक और उष्मारोधी है।

वैदिक प्लास्टर से जीवाणु रहते हैं दूर
वैदिक प्लास्टर से सस्ते और इको फ्रेंडली मकान बनाया जा सकता है। अब इसकी मांग ऑनलाइन हो रही है। देश के कई राज्यों में अब तक 300 से ज्यादा वैदिक प्लास्टर से घर बन चुके हैं। इससे मकानों में नमी हमेशा के लिए समाप्त हो जाती है, जिससे तराई की झंझट नहीं रहती। यह ईंट, पत्थर किसी भी दीवार पर लगाया जा सकता है। एक वर्ग फुट एरिया में इसकी कुल लागत 20 से 22 रुपए आती है। डॉ शिवदर्शन मलिक कहते हैं कि यह मकान इससे हानिकारक कीटाणु और जीवाणु भाग जाते हैं, जिसके जरिए हमें अच्छी सेहत के साथ ही सकारात्मक उर्जा भी मिलती है।
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