हम सभी ने पहाड़ों पर बहने वाले पानी के झरने देखे हैं, लेकिन आज हम आपको राजस्थान के रेगिस्तान में बह रहे रेत के झरने के नजारे दिखा रहे हैं। जी हां, यह सुनकर थोड़ा अजीब जरूर लग रहा होगा, लेकिन यह सच है। हमारी टीम मौके पर पहुंची और वहां रेत के झरने का लुत्फ उठाते हुए वीडियो भी शूट किया। ऐसा सिर्फ राजस्थान की रेतीली जमीन पर ही देखने को मिल सकता है।

आपको बता दें कि यह नजारा बाड़मेर जिला मुख्यालय से करीब 10 किलोमीटर दूर स्थित प्रसिद्ध महाबार के धोरों का है। गर्मी के दिनों में चलने वाली तेज हवाओं में यहां रेत के झरने देखने को मिलते हैं, जब हवा की स्पीड करीब 30 से 40 किमी होती है।

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इतनी भीषण गर्मी में रेत के इन झरनों को दूर से देखने पर लगता है मानो पानी का झरना बह रहा हो। वहीं रेगिस्तान में चल रही आंधी ने आसपास के ग्रामीणों का जनजीवन भी अस्त-व्यस्त कर रखा है। लोगों का कहना है कि इस आंधी की वजह से घरों में रेत कि परत जम रही है। इस वजह से लोगों को मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है।

ग्रामीण अशोक सिंह बताते हैं कि तेज गर्मी और लू चल रही है। तेज धूप और हवा के साथ धोरों (टीलों) से रुक-रुक कर रेत के झरने शुरू होते हैं। ग्रामीण बाबूसिंह बताते हैं कि मई-जून में गर्मी पड़ने के साथ-साथ लू भी चलती है। तेज हवा के साथ रेत के टीलों से धीरे-धीरे रेत गिरती है, ऐसा लगता है कि मखमली रेत का झरना चल रहा है।

टीलों से लूज सैंड के कारण बहते हैं झरने
मौसम विभाग जयपुर के निदेशक राधेश्याम शर्मा के मुताबिक बाड़मेर में रेत के टीलों से लूज सैंड (रेत) पार्टिकल वीड स्पीड (हवा की गति) से ऊपर उठते हैं और कुछ पार्टिकल में भार ज्यादा होने के चलते वे दूसरे से टकराकर नीचे की तरफ गिरते हैं। इन रेत के कणों की साइज थोड़ी बड़ी होती है और भार भी ज्यादा होता है। इस कारण यह आपस में टकरा कर नीचे की तरफ गिरते हैं।

रात 11 बजे 80-90 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से रेतीला तूफान आया
बाड़मेर में बीते पांच दिन से भीषण गर्मी पड़ रही थी। हालांकि गुरुवार देर रात को तेज आंधी आई और रेगिस्तानी इलाकों में तेज हवाओं का दौर शुरू हो गया। बाड़मेर में अब तक आठवां रेतीला अंधड़ आया है। रात 11 बजे के करीब 80-90 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से रेतीला तूफान आया। तूफान से कई बिजली के पोल गिर गए। इसके अलावा बड़ी संख्या में पेड़ भी गिरे हैं।

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